इन रिवाजों के बिना फीकी है शादी
Bhagya Shri Singh
2022-01-24,19:50 IST
www.herzindagi.com
हिंदू शादी कई महत्वपूर्ण रस्मों के बिना अधूरी मानी जाती है। जानें इन रस्मों-रिवाजों को।
सगाई
सगाई में भावी दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे को रिंग पहनाते हैं। इसे रिंग सेरेमनी या इंगेजमेंट भी कहते हैं।
बरीक्षा
इस रस्म का मतलब है 'वर की रक्षा'। माना जाता है कि इस रस्म से ही भावी वर इंगेज हो जाता है।
तिलक
इसमें कन्या पक्ष भावी वर को तिलक करते हैं और उसके और परिवार के लिए वस्त्र भेंट किए जाते हैं।
कुआं पूजन
कई सारी महिलाएं भावी वधू के सिर पर लोहे का चाकू रखकर लोक गीत गाते हुए कुएं पर जाती हैं और वहां पूजा करती हैं।
सिलमायन पूजा
घर पर कई शुभ पकवान बनाए जाते हैं। भावी वधू के माता-पिता 2 सिलबट्टों की पूजा करते हैं और उन्हें भोग अर्पित करते हैं। सिल पर हल्दी और सिंदूर लगाकर भीगी हुई उड़द की दाल पीसी जाती है।
हल्दी
इस रस्म में दुल्हन और दूल्हे को दूब घास से हल्दी लगाई जाती है। इसके बाद मटमंगरा की रस्म होती है।
महिला संगीत
इस सेरेमनी में महिलाएं ढोलक की थाप पर गाने गाती हैं। इसके अलावा फिल्मी गानों पर डांस भी होता है।
मेहंदी की रात
मेहंदी से दुल्हन के हाथों पर उसके होने वाले पति का नाम लिखा जाता है। बाकी की महिलाएं भी मेहंदी लगवाती हैं।
बारात का स्वागत
भावी दूल्हा अपने रिश्तेदारों, दोस्तों के साथ दुल्हन के घर बारात लेकर पहुंचता है।
स्वागत के लिए द्वार पूजा
बारात जब दुल्हन के घर के दरवाजे पर पहुंचती है तो घर के बड़े तिलक लगाकर दूल्हे और बारातियों का स्वागत करते हैं।
वरमाला
इस रस्म में दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को फूलों की माला पहनाते हैं।
कन्यादान
इसमें लड़की के माता पिता उसके हाथ में गंगाजल, कुश और धन रखकर दूल्हे के हाथ में रखते हैं।
सात फेरे
दूल्हा और दुल्हन पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर फेरों के साथ 7 वचन भी लेते हैं।
जूता छुपाई
इसमें दुल्हन की बहनें दूल्हे के जूते छिपा देती हैं और बाद में पैसे या गिफ्ट मिलने के बाद ही देती हैं।
विदाई
इसमें दुल्हन अपने परिवार को छोड़कर दूल्हे के साथ ससुराल रवाना होती है। इस रस्म में सभी की आंखें नम हो जाती हैं।
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