किलों और महलों से सुशोभित चंदेरी, अपने हैंडलूम फैब्रिक के लिए भी चर्चित है।
मध्य प्रदेश के चंदेरी में जन्मी ये साड़ियां अपने जन्मस्थल से अपना नाम लेती है।
चंदेरी साड़ी में है रेशमी धनक और इतिहास की छाप।
नौ गज की साड़ी ही नहीं, आजकल चंदेरी फैब्रिक के दुपट्टे, कुर्ते और वेस्टर्न टूनिक्स भी काफी पसंद किए जाते हैं।
ट्रेडिशनल से लेकर मॉडर्न फैशन तक, चंदेरी हर पैमाने पर खरी उतरती है।
चंदेरी यार्न ग्यारहवीं शताब्दी से बुना जा रहा है। माना जाता है कि चंदेरी फैब्रिक की खोज श्री कृष्ण के बुआ के बेटे, शिशुपाल ने की थी।
हल्की और कोमल होने की वजह से चंदेरी साड़ियों को 'बुनी हुई हवा' या 'वोवन एयर' कहा जाता है।
प्योर सिल्क, चंदेरी कॉटन और सिल्क कॉटन को ज़्यादातर चंदेरी साड़ियां बुनने में इस्तेमाल किया जाता है।
चंदेरी साड़ियों में महीन बूटियों का काम सोने, चांदी या तांबे की तारों से हाथ से किया जाता है। मोर, कमल या जालीदार बूटियां इन साड़ियों को बेहद खूबसूरत बनाती हैं।
चंदेरी साड़ियां मात्र पोशाक नहीं, बल्कि एक सभ्यता और इतिहास का प्रतीक हैं।