आइए जानें दिल्ली में स्थित कमल के आकार के खूबसूरत लोटस टेम्पल से जुड़ी कुछ ऐसी रोचक बातें जो आपने पहले कभी नहीं सुनी होंगी।
# बहाई मंदिर के रूप में प्रचलित
लोटस टेम्पल को बहाई मशरिकुल-अधार मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, जो आधुनिक समय में देश के सर्वश्रेष्ठ वास्तुशिल्प चमत्कारों में से एक है। सफेद संगमरमर की संरचना को 20 वीं शताब्दी का ताजमहल भी कहा जाता है।
# नहीं है किसी देवता की मूर्ति
लोटस मंदिर में किसी भी देवी या देवता की कोई मूर्ति नहीं है। लोग यहां शांति से बैठकर ध्यान लगाते हैं और यह अपने सुंदर फूल जैसी वास्तुकला और अद्भुत वातावरण के लिए जाना जाता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है।
# ईरानी वास्तुकार ने बनाया
चीन के तर्ज पर यहां भी एक ग्लास ब्रिज का निर्माण करवाया गया है। जहां आप नेचर सफारी देखने का अद्भुत लुत्फ़ उठा सकते हैं।
# धर्मों की एकता दिखाता है
सभी धर्मों और नस्लों के लोगों का मंदिर में स्वागत किया जाता है, क्योंकि यह ब्रह्मांड के निर्माता की पूजा करने के लिए एक जगह है न कि किसी विशेष देवता के लिए। अंदर कोई भी अनुष्ठान समारोह नहीं किया जा सकता है और न ही कोई धर्मोपदेश दे सकता है।
# कैसी है मंदिर की संरचना
27 संगमरमर की पंखुड़ियों से बने मंदिर में नौ भुजाएँ हैं, जिन्हें तीन समूहों में व्यवस्थित किया गया है। नौ दरवाजे एक केंद्रीय प्रार्थना कक्ष का नेतृत्व करते हैं जिसकी क्षमता 2500 लोगों की है और यह लगभग 40 मीटर ऊंचा है। केंद्रीय हॉल के अंदर की फर्श भी संगमरमर से बनी है।
बिहार के साथ-साथ भारत के प्राचीन इतिहास के लिए ये शहर आज भी प्रमुख स्थान रखता है।
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